उज्जैन। साल के पहले खग्रास चंद्र ग्रहण पर विश्व प्रसिद्घ ज्योतिर्लिंग महाकाल में शाम 5 बजे होने वाली संध्या पूजा आधा घंटा पहले शाम 4.30 बजे हुई। पुजारियों ने महाकाल का अर्धचंद्र रूप में श्रृंगार किया। शाम 5.18 बजे ग्रहण का स्पर्श शुरू होते ही। पंडितों ने गर्भगृह में बैठकर मंत्र जप शुरू किया। नगर के अन्य मंदिरों में वेध काल के दौरान मूर्ति स्पर्श नहीं हुआ। भक्तों को बाहर से दर्शन कराए गए। ग्रहण काल के दौरान श्रद्घालु जप, तप में लीन रहे। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहणकाल में मंत्र सिद्घि की क्रिया होती है। इसलिए कई साधक मोक्षदायिनी शिप्रा के जल में खड़े होकर मंत्र जप करते नजर आए। रात 8.22 पर ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में शुद्घि के बाद संध्या आरती हुई।
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