उज्जैन. बाबा महाकाल के दरबार में के अवसर पर नौ दिन पहले से ही उत्सव मनाए जाने की परंपरा है। १४ फरवरी को दिन में १२ बजे भस्म आरती होगी। आम दिनों में भस्म आरती तड़के 4 बजे होती है। वर्ष में एक ही बार यह अवसर आता है, जब दोपहर में बाबा को भस्मी चढ़ती है। 5 फरवरी से महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि उत्सव आरंभ होगा। नौ दिनों तक विविध स्वरूपों में बाबा महाकाल के दर्शन होंगे। हर दिन नए स्वरूप में बाबा अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
वर्ष में एक ही बार लगती है हल्दी
आशीष पुजारी ने बताया कि मान्यतानुसार भगवान महाकाल को हल्दी अर्पित नहीं की जाती है। दरअसल हल्दी स्त्री के सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग होती है। इसके अलावा हल्दी की तासीर गरम होती है। महाकाल को शीतल (ठंडे) पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। ऐसे में सिर्फ वर्ष में एक बार ही शिवनवरात्रि के दौरान जिस तरह विवाह में दूल्हे को हल्दी लगाई जाती है, उसी प्रकार भगवान महाकाल को हल्दी लगाई जाती है। इसके साथ ही केसर, चंदन, इत्र और अन्य सुगंधित पदार्थ का उबटन लगाया जाता है।
Published By: Patrika (e-Newspaper)