रामघाट पर सौंदर्यीकरण और छोटे रुद्रसागर पर लेक फ्रंट कॉरिडोर।







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अब उज्जैन में साफ़ हो सकेगा सीवरेज का पानी, कृषि के लिए किया जाएगा उपयोग
उज्जैन शहर से रोज निकलने वाले ९ करोड़ २० लाख लीटर गंदे पानी को साफकर उसका उपयोग खेतों में सिचाईं के लिए किया जायेगा, साथ ही गंदे पानी की गाद खाद के रूप में उपयोग की जा सकेगी। इसे किसान निःशुल्क ले जा सकेंगे। अगर रोड पर सुरासा में सीवरेज प्लान में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू हो गया हैं।
यह प्लांट करीब १३ हेक्टेयर जमीन में बनेगा। जमीन का कब्ज़ा मिलने के बाद अब निर्माण कार्य भी शुरू हो गया हैं। ४०० करोड़ की इस योजना में शहर से रोज निकलने वाले गंदे पानी को अंडरग्राउंड पाइप लाइन से अगर रोड पर स्थित सुरासा ग्राम में बन रहे ट्रीटमेंट प्लांट ले जाया जाएगा।

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उज्जैन में ८६ प्रतिशत कम हुआ प्लास्टिक कचरा, आम लोग आ रहे हैं आगे
स्वच्छ भारत अभियान की मुहीम का असर उज्जैन शहर पर दिखने लगा हैं। शहर प्लास्टिक और पॉलीथिन के कचरे से धीरे धीरे मुक्त हो रहा हैं। और यह हम नहीं बल्कि जारी आकड़ें कह रहे हैं। दरअसल शहर से निकलने वाले कचरे में प्लास्टिक और पॉलीथिन की मात्रा २ साल में ८६ प्रतिशत कम हुई हैं।
इसका असर यह हुआ की गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड पर प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की आवश्यकता ही नहीं नजर आ रही हैं और इसके चलते अब इस यूनिट को लगाने का प्लान ही टल गया हैं। वहीं शहर के केटरिंग व्यावसायी भी ग्राहकों को प्लास्टिक डिस्पोजल के स्थान पर क्रॉकरी और कागज़ डिस्पोजल के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

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वही अमला, वही व्यवस्था, बस कुछ बदला है तो वह हैं स्वच्छता की आदत
स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 के निरिक्षण के लिए केंद्रीय दल उज्जैन शहर में है। इसी प्रक्रिया में रविवार को भी टीम ने लोगों के फीडबैक लिये। इस बिच जब लोगो से स्वच्छता को लेकर सवाल किये गए तो उन्होंने कहा-15 दिन में कुछ बदला है तो वह है आदत। सब कुछ वही हैं, वही अमला, वही व्यवस्था।
लेकिन अगर कुछ बदला है तो वो हैं लोगो की आदत, अब सफाई के लिए किसी से कहना नहीं पड़ता। केंद्र की टीम जो भी नंबर दे लेकिन लोग खुश हैं कि सुबह, शाम, दोपहर में साफ़-सफाई हो रही है। इसी का नतीजा है कि गली-मोहल्ले, मुख्य मार्ग, कोने सब कुछ साफ हैं।

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केंद्र सरकार की टीम करेगी स्वच्छता सर्वेक्षण, उज्जैन की दावेदारी हैं मजबूत
केंद्र सरकार की टीम गुरूवार को स्वच्छता सर्वेक्षण २०१८ के लिए उज्जैन आएगी. यह टीम पुरे एक सप्ताह शहर में रहकर साफ सफाई का जायजा लेगी। बंद कमरे से लेकर शहर के गली मोहल्लो तक इस बात का परिक्षण किया जायेगा कि नगर निगम ने एक वर्ष में क्या किया और किस स्तर पर किया।
गौरतलब हो कि उज्जैन शहर की रैंकिंग पिछले वर्ष १२ थी। ऐसे में इस बात का परिक्षण होगा कि नगर निगम और कंसल्टिंग एजेंसी ने पूरे वर्ष में ऐसा क्या किया हैं जिससे शहर नंबर १ बन सके। इसके साथ में ही लोगो से मिले फीडबैक के आधार पर भी रैंकिंग निर्धारित होती हैं। वहीं विगत एक वर्ष में निगम द्वारा किये गए कार्यो से उज्जैन की नंबर १ बनने की दावेदारी मजबूत हुई हैं।