उज्जैन दुनिया के सबसे प्राचीन शहरो में से एक हैं। पुराणों, महाकाव्यों और ग्रंथों में प्रख्यापित शानदार इतिहास इस तथ्य की गवाही देता है कि प्राचीन भारत में उज्जैन एक स्मार्ट और समृद्ध शहर था। उज्जैन की सांस्कृतिक, राजनीतिक, वाणिज्यिक और शैक्षिक पूंजी भविष्य के लिए इस द्रष्टिकोण को निर्धारित करती हैं कि उज्जैन के नागरिक और सरकार पुनरुत्थान के संकल्प के साथ में यहां अंतर्निहित तीर्थयात्रा, विरासत और ज्ञान की क्षमता का उपयोग करते हुए उज्जैन की अर्थवयवस्था को अधिक जीवंत, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बना सकते हैं।

  • उज्जैन, भारत और पूरे विश्व के लिए धर्म-कलात्मक गतिविधियों का केंद्र रहा हैं जिस कारण इसकी उत्कृष्टता (उत्कृष्ट) दिखती हैं। उज्जैन से देशांतर रेखा होकर गुजरती हैं जिसके चलते खगोलविदों के लिए उज्जैन एक महत्वपूर्ण रेफरल बिंदु है। उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर विराजित महाकाल हिन्दूओं के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं।
  • वहीं माँ हरसिद्धि मंदिर जहां पर दो विशालकाय दीप-स्तंभ हैं। इन दोनों स्तंभ पर ११०० दीप हैं जिससे पूरा शहर उज्ज्वलित (उज्जवल) होता हैं।
  • व्यापार के रूप में समृद्ध (उन्नत ) रहे कोषंबी-पैठान मार्ग का केंद्र उज्जैन था, जो उत्तर भारत और दक्षिण भारत में शामिल रहा है।उज्जैन की एतिहासिक विरासत राज्य के किसी भी अन्य शहर से अधिक हैं , जो कि इसकी वर्तमान पहचान को भी परिभाषित करती हैं। लेकिन अब जरुरत हैं कि उज्जैन आधुनिक डिजिटल व्यवस्था के साथ ताल-मेल बेठाकर स्मार्ट रूप से एक बार फिर अपनी अर्थव्यवस्था को प्राप्त करें।